प्रेरणादायक कहानी
मन में भगवान वृन्दावन के एक संत की कथा है. वे श्री कृष्ण की आराधना करते थे.उन्होंने संसार को भूलने की एक युक्ति की. मन को सतत श्री कृष्ण का स्मरण रहे, उसके लिए महात्मा ने प्रभु के साथ ऐसा सम्बन्ध जोड़ा कि मै नन्द हूँ, बाल कृष्ण लाल मेरे बालक है। वे लाला को लाड लड़ाते,यमुना जी स्नान करने जाते तो लाला को साथ लेकर जाते। भोजन करने बैठते तो लाला को साथ लेकर बैठते.ऐसी भावना करते कि कन्हैया मेरी गोद में बैठा है. कन्हैया मेरे दाढ़ी खींच रहा है.श्री कृष्ण को पुत्र मानकर आनद करते.श्री कृष्ण के उपर इनका वात्सल्य भाव था। महात्मा श्री कृष्ण की मानसिक सेवा करते थे. सम्पूर्ण दिवस मन को श्री कृष्ण लीला में तन्मय रखते, जिससे मन को संसार का चिंतन करने का अवसर ही न मिले. निष्क्रय ब्रह्म का सतत ध्यान करना कठिन है, परन्तु लीला विशिष्ट ब्रह्म का सतत ध्यान हो सकता है, महात्मा परमात्मा के साथ पुत्र का सम्बन्ध जोड़ कर संसार को भूल गये, परमात्मा के साथ तन्मय हो गये, श्री कृष्ण को पुत्र मानकर लाड लड़ाने लगे। महात्मा ऐसी भावना करते कि कन्हैया मुझसे केला मांग रहा है। बाबा! मुझे केला दो, ऐसा कह रहा है.मह...