जैन धर्म का महत्वपूर्ण पर्व: पर्युषण पर्व

जैन धर्म का महत्वपूर्ण पर्व: पर्युषण पर्व नमस्कार दोस्तों! आज के इस ब्लॉग में हम बात करेंगे जैन धर्म के एक प्रमुख पर्व के बारे में, जिसका नाम है पर्युषण पर्व। यह पर्व जैन समुदाय के लिए बहुत खास होता है, क्योंकि इसमें आत्मा की शुद्धि, आत्म-चिंतन और धर्म के मूल सिद्धांतों का पालन किया जाता है। पर्युषण पर्व श्रावण या भाद्रपद महीने में मनाया जाता है और यह श्वेतांबर और दिगंबर जैनों के लिए थोड़ा अलग-अलग तरीके से होता है। श्वेतांबर जैनों के लिए यह 8 दिनों का होता है, जबकि दिगंबर जैनों के लिए यह 10 दिनों का दसलक्षण पर्व कहलाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य है कि हम अपने जीवन में संचित पापों से मुक्ति पाएं और अच्छे कर्मों की ओर बढ़ें। लोग उपवास रखते हैं, जैन ग्रंथों का पाठ करते हैं, ध्यान करते हैं और एक-दूसरे से क्षमा मांगते हैं। खासकर सम्वत्सरी के दिन, जो पर्युषण का आखिरी दिन होता है, लोग "मिच्छामी दुक्कड़म" कहकर सभी से माफी मांगते हैं, जिसका मतलब है "अगर मैंने कोई गलती की हो तो मुझे माफ कर दो"। अब, पर्युषण पर्व में जैन धर्म के दस उत्तम धर्मों (उत्तम धार्मिक गुणों) पर ...